इलाहाबाद: देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद अन्य राज्यों से भी पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग होने लगी थी। वहीं, अब पुरानी पेंशन योजना को लेकर लगाई गई याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि नई पेंशन योजना(एनपीएस) लागू होने की तिथि के बाद नियुक्त होने वाले सहायक अध्यापक पुरानी पेंशन का लाभ पाने के हकदार नहीं हैं। भले ही उनका चयन एनपीएस लागू होने से पूर्व हो गया हो।
मिली जानकारी के अनुसार गाजीपुर की सुषमा यादव ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि उसका चयन एक अप्रैल 2005 को एनपीएस लागू होने की तिथि से पूर्व का है। इसलिए उसे पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए। याची का कहना था कि 8 मार्च 1998 को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ। जिसमें याची ने आवेदन किया था। मगर उसकी बीटीसी की डिग्री मध्य प्रदेश की होने के कारण उसका विशिष्ट बीटीसी का परिणाम जारी नहीं किया गया। तथा कटऑफ अंक से अधिक अंक पाने के बावजूद उसका चयन नहीं हुआ। अंतत: हाईकोर्ट के आदेश के बाद याची को 2006 को नियुक्ति पत्र प्राप्त हुआ। उसने पुरानी पेंशन के लिए बीएसए गाजीपुर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को प्रत्यावेदन दिया मगर उन्होंने स्वीकार नहीं किया। याची का कहना था कि चयन प्रक्रिया 1998 में शुरू हुई जिसमें वह शामिल हुई। मगर नियोजकों ने उसे पूरा नहीं किया और कोर्ट के आदेश के बाद उसे 2006 में नौकरी मिल सकी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि कानून अपने तरीके से काम करता है न कि राज्य सरकार की सुविधा के अनुसार। कोर्ट ने कहा कि यदि याची का वेतन बकाया है तो इसका भुगतान किया जाना चाहिए, सरकार की वित्तीय स्थिति चाहे जो भी हो। न्यायालय व कानून को इससे कोई लेना देना नहीं है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की कोर्ट ने यह आदेश संतोष कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। अलीगढ़ की संतोष कुमारी ने सेवानिवृत्ति के बाद बकाया वेतन 22 लाख 69 हजार 144 रुपए का भुगतान किए जाने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा लखनऊ से जवाब मांगा था।