सीएम साय की अधिकारियों को दो टूक, इन कामों में लेट लतीफी, लापरवाही और अनदेखी नहीं करेंगे बर्दाश्त

रायपुर: छत्तीसगढ़ में आचार संहिता खत्म होने के बाद और प्रशासनिक कसावट लाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज से कई प्रमुख विभागों की समीक्षा बैठक ले रहे हैं । आज पहले दिन मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री ने साय कृषि, उद्यानिकी, मत्स्य और पशुपालन विभाग की बैठक ली। इस दौरान विभागीय मंत्री राम विचार नेताम और अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अधिकारियों को दो टूक कहा पूरी पारदर्शिता के साथ काम करें और प्रशासनिक कसावट लाए ।

सीएम ने यह भी कहा जनहित के कार्यों में हमारी सुशासन की सरकार किसी भी प्रकार की लेट लतीफी, लापरवाही और अनदेखी बर्दाश्त नहीं करेगी। ऐसा करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। शुक्रवार को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य , चिकित्सा शिक्षा और खाद्य विभाग की समीक्षा करेंगे। 15 जून को गृह, जेल और लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग की बैठक लेंगे। मुख्यमंत्री ने आज कृषि विभाग की बैठक में खरीफ फसलों की तैयारी और खाद बीज के भंडारण को लेकर विशेष निर्देश दिए।

अपने खेती-किसानी के अनुभव साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि एक बार पहले जब उन्होंने डीएपी खाद की मांग की थी, तब उन्हें दूसरी खाद मिली, खाद के बोरे में डीएपी की मार्किंग थी, लेकिन बोरे में दूसरी खाद थी, हमारे किसान भाईयों के साथ यह न हो, यह सुनिश्चित करें। उन्होंने उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के निर्देश देते हुए कहा कि जशपुर जिले में आम, लीची, कटहल का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। चाय का उत्पादन भी प्रारंभ हुआ है। इनके प्रसंस्करण इकाई की स्थापना भी की जाए। सीएम ने कहा कि क्लस्टर बनाकर कृषि यंत्र थ्रेसर और हार्वेस्टर आदि कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।

अधिकारियों ने मुख्यमंत्री साय को बताया कि छत्तीसगढ़ के तीन जिलों- महासमुंद, धमतरी और कबीरधाम में जल्द ई-गिरदावरी का कार्य प्रारंभ होगा। इसके लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। राज्य में एग्री स्टैक कार्यक्रम के तहत ई-गिरदावरी के संबंध में बताया कि इसमें किसानों और भू-नक्शों का डिजिटल डाटा बेस तैयार किया जाएगा।

किसानों की रजिस्ट्री तथा नक्शों की जियो रिफ्रेंसिंग की जाएगी। इससे जीआईएस डिजिटल फसल सर्वेक्षण का काम मोबाइल एप के माध्यम से किया जाएगा। इससे गिरदावरी का कार्य आसान होगा और उसका डाटा भी तुरन्त योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए उपलब्ध हो जाएगा। छत्तीसगढ़ के तीन जिलों महासमुंद, धमतरी और कबीरधाम में यह कार्यक्रम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रारंभ किया गया है।

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