सागर: मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित राधा कृष्ण का 350 साल पुराना मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है. यह मंदिर लाखा बंजारा झील के गणेश घाट पर स्थित है. भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा हूबहू वृंदावन के जैसी है. यहां की खासियत यह है कि भगवान अपनी गोपियों द्वारा लिखी गई चिट्ठियों से भक्तों की पुकार सुनते हैं.
राधा अष्टमी के दिन मंदिर में विशेष पूजा होती है, जिसमें महिलाएं विभिन्न मनोकामनाएं जैसे घर, गृहस्थी, बेटे-बेटी, पति, मकान, नौकरी, शादी, आदि की चिट्ठियां लिखकर भगवान श्री कृष्ण को अर्पित करती हैं. इस साल राधा अष्टमी 11 सितंबर, बुधवार को मनाई जाएगी. महिलाएं चिट्ठी लिखकर भगवान के हाथ में थमाती हैं. प्रार्थना करती हैं कि भगवान श्री कृष्ण उनकी मनोकामनाओं को पूरा करें.
मंदिर का इतिहास और विशेषताएं
मंदिर के पंडित गोविंद राव आठले के अनुसार, यह मंदिर सन 1655 में बनवाया गया था. इसमें मथुरा वृंदावन की तरह की प्रतिमा स्थापित की गई थी. पहले भगवान कृष्ण की प्रतिमा अकेली थी. जिससे उनके चेहरे पर मायूसी देखी गई. विद्वानों ने सलाह दी कि राधा जी की मूर्ति भी स्थापित की जाए. इसके बाद राधा जी की मूर्ति स्थापित की गई. लेकिन आसन की कमी के कारण राधा जी श्री कृष्ण से कुछ इंच पीछे खड़ी हैं. इस परिवर्तन के बाद भगवान की मूर्ति में एक नई चमक आई.
पवित्रता और चिट्ठी की विशेषता
मंदिर के फर्श की पवित्रता बनाए रखने के लिए इसे एक कुएं पर बनाया गया था. आज भी फर्श का पानी कुएं से टकराता रहता है. इसके अलावा, जब महिलाएं चिट्ठियां लिखकर भगवान श्री कृष्ण को अर्पित करती हैं, तो उन चिट्ठियों पर “आपकी गोपी” लिखा जाता है. भगवान श्री कृष्ण भक्तों की समस्याओं का समाधान शीघ्रता से करते हैं.
राधा अष्टमी पर भक्तों की भीड़
राधा अष्टमी के दिन मंदिर में बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी मनोकामनाओं की चिट्ठियां लेकर आती हैं. रात के समय भगवान श्री कृष्ण के हाथ से जिनकी चिट्ठी गिरती है, उसकी मनोकामना पूर्ण होना निश्चित माना जाता है.