चेहरा बदलकर जीत में भाजपा का स्ट्राइक रेट 90% से ऊपर, भाजपा ने 2024 में 43.2 फीसद चेहरे बदल दिए

इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने 303 सांसदों में से 132 को मैदान से बाहर कर नए चेहरों को उतारा है। पार्टी के भीतर इसे लेकर सवाल है। इससे उपजे असंतोष की वजह से कुछ नेताओं ने पाला भी बदल। पिछले दोनों चुनाव के आंकड़े चेहरा बदलने को एक अच्छी रणनीति को साबित करते हैं। वर्ष 2014 और 2019 में चेहरा बदली गई सीटों पर भाजपा की जीत का स्ट्राइक रेट 90 फ़ीसद से ऊपर है। वर्ष 2019 में 103 सीटों पर चेहरे बदले गए। इनमें से 94 जीते। इस तरह जीत का स्ट्राइक रेट 91.26 फ़ीसद रहा, जबकि पुराने 163 चेहरों में से 148 ने जीत दर्ज की थी और इनका प्रतिशत 90.8 रहा था।

चेहरा बदलना ज्यादा कारगर

वर्ष 2014 में जिन सीटों पर चेहरे बदले गए वहां भाजपा की जीत का प्रतिशत 92.5 फ़ीसद रहा था और जहां नए चेहरे नहीं बदले गए थे वहां जीत का फीसद 87.8 फीसद रहा। इस तरह चेहरे बदलना 3 फीसद ज्यादा फायदेमंद रहा था।

इन राज्यों में हुआ था चेहरे बदलने का नुकसान
भाजपा को चेहरे बदलने का कई राज्यों में नुकसान हुआ। इनमें तमिलनाडु, अंडमान निकोबार, दादरा और नगर हवेली जहा भाजपा ने पिछले चुनाव में जीती एक सीट को भी खो दिया। इसी तरह उसने आंध्र प्रदेश में अपनी दोनों सीटे भी उम्मीदवार का चेहरा बदलने के बाद खो दी, छत्तीसगढ़ और असम में ऐसी तीन तीन सीटों पर हार मिली थी जहां चेहरा बदल गया था।

लगातार बड़ा आंकड़ा
वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा ने 33.5 फ़ीसदी चेहरे बदले तो 2019 में 38.7 तथा 2024 में 43.2 फ़ीसदी चेहरे बदल दिए।

6 लाख से ज्यादा वोट पाने वालों को भी बदला
2019 के चुनाव में 6 लाख से ज्यादा वोट पाकर बड़ी जीत दर्ज करने वाले दो सांसदों का टिकट भी भाजपा ने काट दिया। करनाल से 6.56 लाख वोटो से जीतने वाले संजय भाटिया की जगह मनोहर लाल खट्टर को टिकट दिया गया। राजस्थान के भीलवाड़ा से 6.1 लाख वोटो से जीते सुभाष चंद्र बहेरिया की जगह दामोदर अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया गया है
 पंजाब केसरी के सौजन्य से

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