मार्गशीर्ष महीना अपने धार्मिक महत्व और भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की भक्ति वाले विशेष व्रत और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है. यह पवित्र महीना 16 नवंबर से शुरू हो गया है. जो 15 दिसंबर को पूरा हो जाएगा. इस माह में कई महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत आते हैं. इस माह के गुरुवार को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे अगहन के गुरुवार कहा जाता है. अगहन माह में हर गुरुवार को महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है.
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और परिवार पर उनकी कृपा सदैव बनी रहे, इसके लिए अगहन के गुरुवार के दिन महिलाएं घर में देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करती हैं. जिसकी तैयारी बुधवार शाम से शुरू हो रही है. गुरुवार की सुबह 3 से 4 बजे उठकर स्नान करने के बाद मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जिसके घर का दरवाजा सुबह खोला जाता है, वहां मां लक्ष्मीजी आती हैं.
अगहन गुरुवार कब है?
इस वर्ष 2024 में अगहन माह में तीन गुरुवार पड़ रहे हैं, जो 21 नवंबर, 28 नवंबर और 12 दिसंबर हैं. हर गुरुवार को देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इसके लिए सबसे पहले बुधवार शाम को मुख्य द्वार के सामने रंगोली बनाई जाती है. घर के मुख्य द्वार से लेकर पूजा स्थल तक चावल के आटे से देवी लक्ष्मी के पैरों के निशान वाले स्वस्तिक और कड़ियां बनाई जाती हैं. इससे घर में मां लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है. पूजा स्थल पर कलश स्थापित करने के बाद देवी लक्ष्मी की मूर्ति को केले के पत्ते, आंवला और आम के पत्तों से सजाकर स्थापित किया जाता है. इस पूजा में आंवले की लकड़ी से बनी लक्ष्मीजी, ढाबा, हाथी और पीठा का विशेष महत्व है. जिसकी पूजा की जाती है.
अगहन गुरुवार के लिए पूजन सामग्री
अगहन गुरुवार पूजा के लिए नारियल, केला, जल, आंवला, पान का पत्ता, धान की बाली, आंवला, सुपारी, कपड़ा, तेल, घी, चीनी, चावल का उपयोग करें.