शेख हसीना को लेकर धर्म संकट में भारत, क्या है केंद्र सरकार के पास विकल्प

नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर भारत सरकार धर्म संकट में पड़ गई है। दरअसल, बीते माह पांच अगस्त को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना भारत आईं। वहां से आने के बाद आज एक महीने होने को है वह अभी भी भारत में रह रही हैं।

इस बीच, बांग्लादेश सरकार ने बीते सप्ताह शेख हसीना का राजनायिक- पासपोर्ट रद्द कर दिया है। जो कि भारत के लिए बड़ी मुसीबत है। ऐसे में सवाल ये उठने लगा है कि अब भारत में उनके रहने का कानूनी आधार क्या है।

हालांकि, भारत सरकार ने बेहद गोपनीयता और कड़ी सुरक्षा के बीच उनके और उनकी छोटी बहन शेख रेहाना के रहने की व्यवस्था तो जरूर किया है। लेकिन, भारत सरकार की ओर से अब तक औपचारिक रूप से यह नहीं बताया है कि इस मामले में उसका अंतिम फैसला क्या होगा।

भारत के पास तीन विकल्प

ऐसे में भारत के पास क्या विकल्प हो सकता है। इसे लेकर बीबीसी ने लिखा कि उसे अधिकारियों की बातचीत से संकेत मिले हैं कि भारत सरकार के पास शेख हसीना के मुद्दे पर तीन विकल्प यानी तीन रास्ते खुले हैं।

आइये जानते हैं कि भारत के पास वे तीन रास्ते क्या क्या हैं

भारत के पास जो सबसे पहला विकल्प है वो ये कि बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को किसी तीसरे देश में शरण लेने की व्यवस्था करना होगा। इसके साथ ही शर्त ये भी होगा कि उन्हें सुरक्षा की गारंटी मिले।

दूसरा विकल्प, शेख हसीना को राजनीतिक शरण देकर तात्कालिक तौर पर यहीं यानी भारत में उनके रहने की व्यवस्था कर दी जाए।

तीसरा विकल्प, ये विकल्प भारत के लिए कठिन है और शायद ऐसा करना संभव भी नहीं हो पोएगा। विकल्प है कि बांग्लादेश में कुछ दिनों बाद परिस्थिति में सुधार होने की स्थिति में भारत शेख हसीना को उनके देश बांग्लादेश भेजने के लिए राजनीतिक रूप से वापसी का भी प्रयास कर सकता है।

तीसरे विकल्प की संभावना क्यों

तीसरा विकल्प यानी शेख हसीना को बांग्लादेश वापसी का प्रयास। वो इसलिए क्योंकि एक पार्टी या राजनीतिक ताकत के तौर पर अवामी लीग अभी खत्म नहीं हुई है और अपने देश वापस लौटर कर शेख हसीना पार्टी की कमान संभाल सकती हैं। और एक बार पुन: अपना वर्चस्व कायम कर सकती हैं।

शेख हसीना भारत में रह गईं तो क्या होगा

दरअसल, अगर शेख हसीना भारत में ही रह गईं तो इसका असर दिल्ली- ढाका पर पड़ेगा। दोनों देशों के संबंधों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

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