हनुमान जी के भक्त अक्सर जानना चाहते हैं कि उन्हें हनुमान जी के दर्शन कहां मिल सकते हैं। कई पौराणिक कहानियों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि कलियुग में हनुमान जी सशरीर गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं। यह क्षेत्र वर्तमान में तिब्बत में है। आइए, विस्तार से जानते हैं कलियुग में हनुमान जी का निवास स्थान और किन-किन लोगों ने किए हैं उनके दर्शन।
हनुमान जी प्रभु श्रीराम के परम भक्त हैं। पौराणिक कहानियों के अनुसार हनुमान जी केवल बलशाली ही नहीं बल्कि दयालु भी हैं। हनुमान जी इतने दयालु हैं कि अपने शत्रुओं पर भी दया करके उन्हें संकट से निकाल देते हैं। इसका अर्थ यह है कि हनुमान जी केवल एक देवता ही नहीं बल्कि एक योद्धा भी हैं। ज्ञान, बल, पराक्रम के साथ एक योद्धा में दयाभाव का होना ही उसे महान बनाता है। कई पौराणिक कहानियों में इस बात का उल्लेख भी मिलता है कि हनुमान जी कलियुग के संकटों को पार करने में हर उस मनुष्य की सहायता करते हैं, जो भी हनुमान जी का स्मरण पूरी श्रद्धा के साथ करता है। बजरंगबली को चिंरजीवी होने का वरदान प्राप्त है इसलिए माना जाता है कि हनुमान जी कलियुग में भी सशरीर निवास करते हैं। आइए, जानते हैं कलियुग में कहां रहते हैं पवनपुत्र हनुमान।
इस जगह पर ऋषि-मुनि और देवता भी करते हैं निवास

रामायण की कथा के अनुसार गंधमादन पर्वत से जुड़ीं कई कहानियां मिलती हैं। गंधमादन पर्वत के क्षेत्र को यक्षलोक भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां एक अद्भुत सरोवर है जहां खिलने वाले कमलों को रोजाना हनुमान अपने आराध्य श्रीराम की पूजा में अर्पित करते हैं। श्रीमद्भावत में वर्णन मिलता है कि द्वापर युग में भी हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते थे। इसी क्षेत्र में हनुमान जी भीम से मिले थे। अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन पर्वत के क्षेत्र में पहुंचे। इसी दौरान एक बार भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत के वन में पहुंच गए थे, जहां पर हनुमान जी ने भीम का अंहकार तोड़ा था। इस पर्वत पर कई ऋषि-मुनि, देवता, गंधर्व निवास किया करते थे।