यूपी STF ने होलोग्राम केस की पूछताछ करने के लिए  कारोबारी अनवर ढेबर को गिरफ्तार कर रायपुर कोर्ट में किया पेश   

रायपुर:- उत्तरप्रदेश पुलिस की STF टीम ने आज बुधवार को कारोबारी अनवर ढेबर को रायपुर कोर्ट में पेश किया है. यूपी STF अदालत में अनवर ढेबर को प्रोडक्शन वारंट पर यूपी लेकर जाने के लिए कोशिश करेगी. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी.

बता दें, कल यानि 18 जून (मंगलवार) को यूपी STF और अनवर के समर्थकों के बीच काफी गहमा-गहमी हुई जिसके बाद देर रात को उसे गिरफ्तार कर लिया गया. अब मंगलवार देर शाम यूपी STF ने अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के दौरान अनवर ढेबर के समर्थकों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. उन्हें आज रायपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें यूपी के मेरठ कोर्ट में पेश करने की तैयारी की जा रही है.

ACB कोर्ट से मिल गई थी बेल
दरअसल, शराब घोटाले मामले में हाई कोर्ट से अनवर ढेबर को 14 जून को हाईकोर्ट से जमानत मिली और मंगलवार देर शाम उन्हें बेल मिल गई. लेकिन जैसे ही वे जेल से बाहर निकले, यूपी STF ने उन्हें होलोग्राम केस की पूछताछ करने के लिए गिरफ्तार कर लिया. समर्थकों ने इस दौरान काफी हंगामा खड़ा किया, जिसके बाद उन्हें सिविल लाइन थाने ले जाया गया. जहां स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 200 से अधिक पुलिस जवान भी तैनात किए गए थे.

इस मामले को लेकर अनवर ढेबर के वकील अमीन खान ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर हाईजैक करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि उच्च न्यायालय से बेल मिलने के बाद भी देर रात तक उन्हें रोके रखा गया. परिजन उन्हें अस्पताल ले जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने अनुमति नहीं दी. एक छोटे से पेपर के टुकड़े में गिरफ्तारी की जानकारी दी गई.
यूपी STF को कोर्ट से मिली थी मंजूरी
जानकारी के अनुसार, यूपी STF ने अनवर ढेबर, आबकारी विभाग के अधिकारी रह चुके अरुणपति त्रिपाठी और रिटायर्ड IAS अनिल टूटेजा को पूछताछ के लिए ले जाने के लिए आवेदन किया था. सेंट्रल कोर्ट के तरफ से रायपुर कोर्ट में यह आवेदन लगाया गया था, जिसमें सुनवाई के बाद यूपी पुलिस को अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को ले जाने की मंजूरी मिल गई.

आरोप और अनियमितताएं
FIR के अनुसार, छत्तीसगढ़ के एक्साइज डिपार्टमेंट ने अवैध रूप से प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्रा. लि. को टेंडर दिया था. कंपनी के मालिकों की मिलीभगत से निविदा शर्तों को संशोधित किया गया और अवैध रूप से निविदा आवंटित की गई. बदले में कमीशन लिया गया और डुप्लीकेट होलोग्राम की सप्लाई छत्तीसगढ़ सक्रिय गैंग को की गई.
फर्जी ट्रांजिट पास
टेंडर मिलने के बाद, विधू गुप्ता ने डुप्लीकेट होलोग्राम की सप्लाई छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी अरुण पति त्रिपाठी के निर्देश पर की. गैंग के सदस्य होलोग्राम को अवैध शराब की बोतलों पर चिपकाते थे और फर्जी ट्रांजिट पास के साथ दुकानों में पहुंचाते थे. इस काम में छत्तीसगढ़ के 15 जिलों के आबकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे.

 

 

 

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