राजस्थान में क्यों ढह रहा है भाजपा का किला

राजस्थान :-   2019 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान में शत प्रतिशत जीत का आंकड़ा देने वाली भाजपा आखिरकार आपसी सिर फुटौव्वल के चलते 24 के चुनाव में अपने पल्लू से 11 सीटे गवा बेटी। फिर भी यहां भाजपा नेताओं की आपसी गुटबाजी व उठापटक पर लगाम नहीं लग पा रही। राजस्थान का भगवा तापमान आज भी कितना गर्म में इसे आप वहां की सीनियर बीजेपी नेता व राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बयान से आसानी से समझ सकते हैं। बकौल वसुंधरा, लोग आजकल उसी उंगली को काटना चाहते हैं जिस उंगली को पकड़कर उन्होंने चलना सीखा है। चुनाव हारने के बाद भी राजस्थान भाजपा में आज भी कई पावर सेंटर बने हुए। पार्टी अलग-अलग खेमों में बटी नजर आती है। जरा इन खेमों पर नजर डालिए, वसुंधरा राजे खेमा, भजनलाल खेमा, राजेंद्र राठौड़ खेमा, सीपी जोशी खेमा, या फिर दिल्ली की बात करें तो वहां भी तीन अलग पावर सेंटर बताए जाते हैं जिसमें ओम बिरला, गजेंद्र सिंह शेखावत और भूपेंद्र यादव के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं। हाल के दिनों में एक सीनियर नेता किरोड़ी लाल मीणा का मसला भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है।

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